It has just been 2 hours and the elastic band of the mask has started hurting ears! The elastic loops have to be adjusted frequently in order to give relief to the ears. Ultimately the mask goes off the face and we become prone to the virus. I am sure that you are able to relate to this pain. To protect you against the virus, our reusable and washable masks carry an inner layer of melt-blown non-woven polypropylene material.
This inner layer having a filtration efficiency of 0.3 microns is capable of protecting you against the microbes. For you to remain ahead of the fashion curve, all the fabrics used for making the 2 side usable face masks have been chosen by our in-house fashion research team led by a NIFT Alumni according to the WGSN recommended Summer Spring 2020 fashion forecast and trends.
I would like to specially inform our viewers that The Sizes & Designs of the masks, Prints & Base fabric can all be customized. Bulk Production within stipulated time is possible. We are already working on the Designer Fabric Masks Autumn-Winter 20/ 21 Collection And we will be soon launching our collection of Designer Anti-Microbial Fabric Masks Collection. The Anti-Microbial fabric hinders the growth of microbes like bacteria, virus, and fungi.
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यस्य कृत्यं न विघ्नन्ति शीतमुष्णं भयं रति । समृध्दिरसमृद्धिर्वा स वै पण्डित उच्यते ॥ अर्थात जिसका कार्य कभी ठंढ, ताप, भय, प्रेम, समृद्धि,या इन सब के अभाव से बाधित नहीं होता, केवल वही वास्तव में श्रेष्ठ है। महाभारत का यह श्लोक, भारत के राष्ट्रपति द्वारा ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ से सम्मानित, बाड़मेर की क्षत्राणी, फैशन डिजाइनर रूमा देवी, के लिए पूर्णत: उपयुक्त है।
नमस्कार, मैं आपका मित्र तुषार, अपनी कपड़े का व्यापार करने वाली कंपनी, चारू क्रिएशन प्राइवेट लिमिटेड, की ओर से आज की इस प्रेरणादायक यात्रा में आपका स्वागत करता हूं | राजस्थान के एक छोटे से गांव रावतसर मैं एक गरीब किसान के परिवार में जनमी रूमा देवी ने मात्र 6 वर्ष की आयु मैं अपनी मां को खो दिया | मां के देहांत के उपरांत पिता ने दूसरा विवाह रचा लिया | रूमा ने अपने 7 भाई-बहन के पालन पोषण का उत्तर दायित्व संभाला | वो समय भी देखा जब 10 किलोमीटर दूर से पानी भरकर बैलगाड़ी में घर लाना पड़ता था। परंतु जीवन की परिस्थितियों में सुधार लाने की भावना बालपन से ही रूमा में प्रबल थी इसी कारण घर के कामकाज को संभालने के साथ-साथ अपनी दादी से कपड़े पर कढ़ाई, embroidery का काम सीखा |
17 वर्ष की आयु में विवाह हो जाने के कारण आठवीं कक्षा में उत्तीर्ण होने से पहले ही विद्यालय छोड़ना पड़ा | रूमा को ससुराल में भी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। अब समय था रूमा के जीवन की सबसे कठिन परीक्षा का | आर्थिक तंगी के कारण रूमा अपने पहले शिशु का उपचार न करवा पाई और शिशु का निधन हो गया | इस असहनीय पीड़ा को राजस्थान की इस वीरांगना ने एक दृढ़ निश्चय में रूपांतरित किया | ह्रदय में भाव उत्पन्न हुआ जो मेरे साथ हुआ वह किसी और स्त्री के साथ ना हो |
आर्थिक अभाव के कारण किसी स्त्री की गोद में खिलखिलाते शिशु के स्थान पर मृत शिशु ना हो | वर्ष 2006 में गांव की 10 महिलाओं के साथ जुड़कर दीप नवल नामक एक स्वयं सहायता समूह बनाया। हर स्त्री ने ₹100 का योगदान किया और एक पुरानी सिलाई मशीन खरीदी | समूह ने कुशन और बैग बनाने प्रारंभ किए। रूमा अकेले ही बैग के ऑर्डर लेने के लिए एक एक दुकानदार के पास जाती, छोटे विक्रेताओं के पास जाती। प्रारंभ मैं समूह को अत्यंत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा परंतु रूमा ने पराजय स्वीकार नहीं की |
वर्ष 2008 में रूमा बाड़मेर के गैर सरकारी संगठन ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान के संपर्क में आई और रूमा के समूह को इस संगठन से काम मिलने लगा | रूमा के निरंतर प्रयासों और कड़ी मेहनत के कारण, रूमा इस संगठन की सदस्य बनी और आगे चलकर वर्ष 2010 में ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान की अध्यक्ष, president बनी | धीरे धीरे और भी स्त्रियां रूमा के समूह के साथ जुड़ने लगी | न केवल जुड़ने लगी अपितु आर्थिक स्तर पर स्वावलंबी, self independent बनने लगी | और यह तथ्य राजस्थान के पुरुष प्रधान रूढ़िवादी समाज के लिए अस्वीकरणीय था |
समाज का एक अंग रूमा की राह में बाधा उत्पन्न करने लगा | रूमा की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम | इस महिला ने न केवल इस रूढ़िवादी समाज का सफलतापूर्वक सामना किया अपितु इस संघर्ष में अपने माधुर्य , करुणामए व्यवहार, प्रकृति द्वारा प्रदान किए गए उपहार अपने स्त्रैन को यथावत, अक्षुण्ण रखा, घटने नहीं दिया |
इस संघर्ष का परिणाम यह है कि आज रूमा के समूह में 75 गांवों की 22000 हस्तशिल्पी महिलाएं सभी प्रकार के डिजाइनर कपड़े, home furnishing products, घर में प्रयोग होने वाले सम्मान, का निर्माण करती हैं | जो महिलाएं कभी दो हजार रुपे प्रति माह भी ना कमा पाती थी आज औसतन ₹10000 – ₹15000 प्रति माह कमाती है |
देहात राजस्थान मैं कढ़ाई अर्थात embroidery के विलुप्त होते भिन्न भिन्न प्रकार जैसे Soof, kharak, urvashi, Kachcha, pakko kaam, gudri को जीवंत रखने का पूर्ण श्रेय इस समूह को जाता है | विश्व प्रसिद्ध भारतीय एवं विदेशी फैशन डिजाइनरों हेमंत त्रिवेदी, Bibi Russell, Abraham & Thakore, Rohit Kamra, Anita Dongre जैसे अनेक डिजाइनरों के साथ काम कर चुकी रूमा के उत्पाद, products, राजस्थान की समृद्ध विरासत को विश्व प्रसिद्ध प्रदर्शनियों जैसे जर्मनी का Heimtextil fair, Singapore Craft Fair, London Fashion Week, Tribes Fashion Show, IHGF Noida मैं गौरवान्वित में कर चुकी है |
रूमा के अदम्य साहस और धीरज को श्रीलंका सरकार के शिल्प अभिमानी पुरस्कार, वूमन ऑन विंग्स नीदरलेंड के महिला सशक्तिकरण अवार्ड, World CSR Congress Award, 2019 का iWoman Global पुरस्कार, विश्व के 51 प्रभावशाली लोगों में अंतर्राष्ट्रीय सीएसआर पुरस्कार, the 51 Most Impactful Social Innovators award in Global Listings भारत सरकार का नारी शक्ति सम्मान जैसे अनेक अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है |
https://www.youtube.com/watch?v=xF5N3tmeGRg&t=35s
I would like to thank you on behalf of my company for giving us the opportunity to serve you. It is an undeniable fact that I along with my all team members earn our livings just because of you, our customers. In spite of having many fabric suppliers to deal with, you gave us the opportunity to serve you. Therefore, I along with my whole team are grateful to you from the bottom of our heart. I wholeheartedly invite you not only for your expression of appreciation for us but also for criticism, grudges and complaints if any. A customer’s honest feedback is the best advice for any business to work upon. I assure you that I along with my whole team shall strive continuously for excellence in order to be worthy enough to serve you and to give tangible value to you