Hello, this is Tushar Bhatia from Charu Creation Pvt. Ltd. So, this Buyer’s Guide series on Curtains will consist of videos on topics like Types Of Curtains, opacity, curtain style, materials, curtain pattern, curtain length, curtain features, etc. In the last video, I explained different Types of Curtains & Opacity of curtains. In this video, I will explain different Curtain Styles and Curtain Materials
A) Curtain Styles So the first type of curtain style is 1. Casual: Casual curtains are a popular choice in bedrooms, bathrooms, and kitchens. Casual curtains will lend themselves to an easy, not-too-serious vibe. These curtains often feature grommet and eyelet or tab top attachments, and they’re rarely used with a valance.
2. Classic: Classic styles are universally popular in any room in the home. Classic curtains are often used with valances and additional accessories to create full window treatments. These curtains feature a classic, timeless appeal and are often seen in design styles like classical, country and bohemian styles.
3. Contemporary: Contemporary curtains provide a fresh interpretation of classic styles. They’re most commonly available in shades of grey and earthy tones that are inspired by nature. Sometimes, brighter and bolder colors are used to provide a pop of color in an otherwise subdued space. Contemporary curtains often feature rich textures and provide a sophisticated look that isn’t overly styled or pretentious. 4. Modern: Modern curtains generally reflect modern design in general. Modern designs are usually minimal and often incorporate metal along with eco-friendly materials as well. While solid colors are ever popular with modern curtains, bold patterns with clean lines or abstract elements are also very popular. Depending on the style of the room, modern curtains can create a powerful design statement Another important factor when selecting curtains is the materials they’re constructed from.
A curtains material serves several purposes beyond being decorative. Thinner materials are used to create sheer or semi-sheer materials while thicker materials are used in semi-opaque and blackout curtains. Depending on the materials, the curtains may also possess additional features as well.
1. Cotton: Cotton is a popular choice for many different applications. Cotton is semi-sheer, so it lets in lots of light while still providing a moderate level of privacy. Cotton curtains are often layered with other fabrics to create a complete window treatment. You’ll see cotton curtains in many different styles, and it’s a viable choice for any room in the home. Cotton curtains are also easy to clean, which makes them even more versatile.
2. Linen: Linen curtains are a bit heavier than cotton, while still maintaining an easy, casual vibe. They let in a moderate level of light while providing an additional level of privacy. Linen can be a bit more difficult to clean than cotton. It’s probably not the best choice for dusty environments as the rough texture of linen can act as a magnet for dust.
3. Velvet: Velvet curtains are another popular material. This material is best if you’re looking for the most privacy possible. The heavy material also keeps out drafts and reduces outside noise. Velvet is a popular choice for bedrooms with light-sensitive sleepers. It’s also a great fabric to use to create a more dramatic effect on your windows. Velvet is usually cleaned professionally, as it’s a difficult fabric to clean. So, if upkeep is a concern, you may want to steer clear of this fabric.
4. Silk: Silk is a beautiful and luxurious fabric that is used to produce a broad range of different types of curtains.
It’s semi-sheer and depending on how thick the silk is, it may let in lots of light, or a limited amount of light. Silk is a popular material in classic and contemporary curtain styles. Silk is difficult to clean, and usually, requires professional help for cleaning. So, you may want to consider the upkeep costs before investing in silk curtains.
समय है 3000 ईसा पूर्व से भी पहले का | भारत के गांवों की गलियों मैं भ्रमण कर रहे हैं अनेकों अनेक लोक गीत गायक एवं चित्रकार | यह लोग अपनी कला के माध्यम से सनातन धर्म की पौराणिक कथाओं का साधारण जन मानस के लिए व्याख्यान कर रहे हैं, वर्णन कर रहे हैं | इनमें से जो चित्रकार हैं उन्हें चित्रकथी कह कर संबोधित किया जाता है | रामायण, महाभारत एवं अन्य पौराणिक कथाओं का चित्रों द्वारा वर्णन कर रहे चित्रकथीयो की कला का नाम है पट्टचित्र | पट्ट अर्थात कपड़ा, पट्टचित्र अर्थात कपड़े पर चित्र |
काल के इस खंड से, समय की इस अवधि से शुभारंभ होता है आधुनिक युग की विश्व प्रसिद्ध कला एवं कपड़े कलमकारी का | नमस्कार, मैं आपका मित्र तुषार, अपनी कपड़े का व्यापार करने वाली कंपनी, चारू क्रिएशन प्राइवेट लिमिटेड, की ओर से इस रंगीन कपड़ों की यात्रा में आपका स्वागत करता हूं | चित्रकथीयो की गाथा हिंदू, बौद्ध एवं जैन धार्मिक ग्रंथों मैं विस्तार रूप से वर्णित है | इतिहासकारों के अनुसार, मोहनजोदाड़ो के पुरातात्विक स्थलों पर archaeological sites पर, कलमकारी कपड़े के दृष्टांत, कलमकारी कपड़े के samples प्राप्त हुए | काल का चक्र घूमता है, समय का पहिया आगे बढ़ता है और यह कहानी पहुंचती है 13वीं से 18वीं शताब्दी के बीच | भारत भूमि साक्षी बन रही है मुगल साम्राज्य के विस्तारीकरण की |
मुगल साम्राज्य के आधीन, गोल कोंडा एवं कोरोमंडल सल्तनत को आकर्षित करती है पट्टचित्र कला | पट्टचित्र कला एवं चित्रकथीयो को संरक्षण एवं आर्थिक सहायता संक्षेप में कहे तो प्रतिपालन patronization प्राप्त होता है गोल कोंडा एवं कोरोमंडल सल्तनत का | मुगल सहायता प्राप्त करने के उपरांत यह कला एवं इसके कलाकार कलमकारी एवं कलमकार के नामों से ना केवल भारत अपितु ईरान देश में भी विख्यात होते हैं | कलमकारी भारत की प्रमुख लोककलाओं में से एक है। क़लमकारी शब्द का प्रयोग कला एवं निर्मित कपड़े दोनो के लिए किया जाता है। सर्वप्रथम वस्त्र को रात भर गाय के गोबर के घोल में डुबोकर रखा जाता है।
अगले दिन इसे धूप में सुखाकर दूध, माँड के घोल में डुबोया जाता है। बाद में अच्छी तरह से सुखाकर इसे नरम करने के लिए लकड़ी के दस्ते से कूटा जाता है। इस पर चित्रकारी करने के लिए विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक पौधों, पत्तियों, पेड़ों की छाल, तनों आदि का उपयोग किया जाता है | बांस एवं इमली के पेड़ की टहनी का प्रयोग कलम की तरह किया जाता है | कलमकारी में प्रयोग होने वाले रंग प्राकृतिक रूप से निर्मित किए जाते हैं | उधारणतः, काले रंग का निर्माण गुड, जल एवं जंग ग्रसित लोहे के मिश्रण से होता है | पीला रंग अनार के छिलकों को उबालकर बनाया जाता है | इसी तरह लाल रंग मजीठ के पौधे की छाल से प्राप्त होता है | नीले रंग की प्राप्ति नील के पौधे इंडिगो प्लांट से की जाती है | भारत में क़लमकारी के दो रूप प्रधान रूप से विकसित हुए हैं। वे हैं मछिलिपट्नम क़लमकारी और श्रीकलाहस्ति क़लमकारी। दोनों रूप आंध्र प्रदेश राज्य में विकसित हुए हैं | मछिलिपट्नम क़लमकारी में मुख्य रूप से सूती कपड़े पर छपाई लकड़ी के मुद्रण खण्डों, wooden printing blocks, द्वारा की जाती है जबकि श्रीकलाहस्ति क़लमकारी मैं केवल हस्त द्वारा सूती कपड़े पर छपाई की जाती है | श्रीकलाहस्ति क़लमकारी में लकड़ी के मुद्रण खण्डों, wooden printing blocks का प्रयोग नहीं होता | आधुनिक भारत कलमकारी का विस्तार गुजरात राज्य में भी हुआ है | गुजरात कलमकारी के रूपांकन, motifs, हिंदू पौराणिक पात्र जैसे अर्जुन कृष्ण, गणेश, शिव पार्वती, इत्यादि से अधिक प्रभावित है जबकि आंध्र प्रदेश की कलमकारी के रूपांकन, motifs, दुर्ग, पशु पक्षी, मंदिर से अधिक प्रेरणा प्राप्त करते हैं |
लोकमानस में यह मान्यता प्रचलित है कि कलमकारी कपड़ा मनुष्य की सात्विक ऊर्जा का पोषण करता है | कलमकारी कपड़ा आप नीचे दिए हुए लिंक द्वारा ग्रहण कर सकते हैं | अपना अनमोल समय निकालकर इस वीडियो को देखने के लिए मैं आपका हार्दिक आभार प्रकट करता हूं और आशा करता हूं कि हमारे कपड़े आपके जीवन में सकारात्मक योगदान करेंगे | आप हमें दूरभाष 99711 06200 पर संपर्क कर सकते हैं या charu@charu.org.in पर ईमेल कर सकते हैं| अगर आप चाहते हैं कि आपको विभिन्न प्रकार के कपड़ों की सूचना समय-समय पर प्राप्त हो तो कृपया करके हमारा यूट्यूब चैनल चारू क्रिएशन प्राइवेट लिमिटेड को अवश्य सब्सक्राइब करें| धन्यवाद| जय हिंद जय भारत|